जाग रहे हो तुम |
तो सो रहे है हम ||
लड़ रहे हो तुम |
तो खेल रहे है हम ||
तुम्हारी आँखों में भी सपने है |
हमारी आँखों में भी हैं कुछ ||
इंतज़ार तो है तुम्हारा भी |
पर वतन के वास्ते डट के खड़े हो तुम ||
लेकिन इस दिवाली अपने आप को अकेला मत समझना |
चाहने वालो की कमी नहीं हैं ||
चाहने वालो की कमी नहीं हैं ||
संदेशो का मेला लग जायेगा |
एहसास होगा ऐसा जैसे घर पर हो ||
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